ब्रह्मऋषि विश्वामित्र को सबसे पहले गायत्री मंत्र के दर्शन हुए थे. गायत्री मंत्र का बुनियादी महत्व सूर्यदेव की आराधना है. वेदों के अनुसार गायत्री मंत्र का जप सुबह और शाम को सूर्यदेव के सामने करना चाहिए. गायत्री मंत्र का जप दिन में तीन बार सुबह, दोपहर और शाम को कर सकते हैं , सुबह ये भगवान ब्रह्मा को समर्पित है , इसे गायत्री कहा जाता है . दोपहर में ये भगवान विष्णु को समर्पित है , इसे सावित्री कहा जाता है. शाम में ये भगवान शिव को समर्पित है , इसे सरस्वती कहा जाता है. गायत्री मन्त्र मुख्यतः २४ अक्षरों से मिल कर बना है .
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यम् भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् |
यह माना जाता है और देखा गया है कि नियमित रूप से सस्वर पाठ गायत्री मंत्र का जप करने से प्राण शक्ति (जीवन शक्ति), अच्छे स्वास्थ्य, बुद्धि, मानसिक शक्ति, समृद्धि के साथ बुद्धि और ज्ञान प्रदान करता है और परम सत्य की दिशा में एक मार्गदर्शक का कार्य करता है .