शिव यजुर मन्त्र / महादेव मन्त्र

भगवान शिव त्रिमूर्ति में एक प्रमुख देवता हैं और हर भक्त की बहुत जल्दी मनोकामना पूरी करते हैं. इसलिए इन्हें भोले शंकर भी कहते हैं . ॐ नमः शिवाय इनका मुख्य मंत्र है जिसका जप करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं और सारे दुःख दूर हो जाते हैं .

शिव जी के मंत्र बहुत ही शक्तिशाली हैं और इनका नियमित जप करने से आपको जीवन में सफलता अवश्य मिलेगी .

शिव यजुर मन्त्र / महादेव मन्त्र

शिव यजुर मंत्र / महादेव मन्त्र एक प्राचीन संस्कृत मन्त्र हैं जो भगवान शिव जी से संबंधित है.  ये मन्त्र यजुर्वेद से लिया गया है और इसे शिव स्तुति कहा जाता है.

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम् |

सदा वसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानि सहितं नमामि ||

भावार्थ – 

कर्पूर गौरं – जो कपूर की तरह शुद्ध / श्वेत है .
करुणावतारम – जो करुणा के अवतार हैं.
संसार सारं  – जो दुनिया का सार है.
भुजगेन्द्र हारम  – जिसने गले में माला के रूप में नागराज धारें हैं.
सदा वसंतं – जो हमेशा रहने वाले हैं.
हृदयारविन्दे – दिल के कमल में .
भवं भवानी – हे भगवान और देवी ( सती / माँ पार्वती ) .
सहितं नमामि – आप दोनों को मेरा नमन.

शिव यजुर मन्त्र का जप करने की विधि –

भगवान शिव की तस्वीर और मूर्ति के सामने बैठ कर शिव जी का ध्यान करें और फिर मन्त्र जप शुरू करें . इस मन्त्र का जप १०८ बार प्रतिदिन नियमित रूप से पूरी श्रद्धा के साथ करें .यदि आप इस मन्त्र का जप १०८ बार न कर सके तो ५४ बार या २७ बार भी कर सकते हैं . इस मन्त्र का जप करने से आपको अच्छी सेहत / अच्छा स्वास्थ्य ,धन-दौलत मिलेगी और आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी.
 जय शिव शंकर

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